लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 21)
एक बार मैंने ट्यूशन पढ़ाने का फ़ैसला लिया और किस्मत से एक बच्चे की माताजी ने मुझे उसे पढ़ाने का आग्रह किया, तो मैं तैयार हो गई। वह बच्चा तीसरी कक्षा में था। उसका दिमाग बहुत तेज़ था, बस घर में पढ़ाई का माहौल ना होने के कारण उसके परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आ पा रहे थे। जब मैंने उसे पढ़ाना आरंभ किया। वह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा। उसमें बोलने और बाकी चीज़ों में भी परिवर्तन हुआ। अंततः उसके काफ़ी अच्छे अंक आए। वह तीन महीने में ही इतनी आगे बढ़ गया कि उसके अस्सी प्रतिशत तक अंक आ गए।
उसको देख कर दूसरे वर्ष मेरे पास दो और बच्चे पढ़ने आए। उनमें से एक लड़का था और दूसरी लड़की। दोनों ही पांचवी कक्षा में थे। लड़की तो पढ़ने में अच्छी थी। परंतु, लड़का की स्तिथि पढ़ाई के मामले में बहुत खराब थी। फिर जब मैंने उनको पढ़ना शुरू किया। तब लड़की जो जल्दी सब पढ़ कर चली जाती और उस लड़के को मैं तीन घंटे बिना नहीं छोड़ती। लड़का सोचता एक घंटे बैठे रहता हूं। उसके बाद तो दीदी छोड़ ही देंगी। एक दिन तो यह तक हुआ कि मैंने उसको बोल दिया खाना पानी सब मैं यहीं तुझे खिलाऊंगी। परंतु, जब तक मुझे ये सब याद करके नहीं सुनाएगा, तुझे घर नहीं जाने दूंगी। लड़के ने जल्दी से सब याद करके सुना दिया।
जब उसके पांचवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा हुई, उस लड़के के 86% अंक आए। वह और उसके घर वाले इतने खुश हुए। वह बोला दीदी मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मेरे भी इतने अच्छे अंक आए सकते हैं। वह हमेशा बस पास होंजता था और इस बार इतने अंक लाकर वह बहुत खुश था। मैंने उसको बोला सबको ईश्वर ने एक जैसा ही बनाया है। वह तो हम ही लोग हैं जो खुद को काबिल नहीं समझते और पीछे रह जाते हैं। तब मैंने स्वयं को पुरस्कृत कर हेतु जब माउंट आबू गई थी तब सरस्वती मां की मूर्ती दी। उन बच्चों को भी एक ट्रॉफी दी, जिसे पाकर वे बहुत खुश हुए।
उसकी प्रगति उसके विद्यालय के एक अध्यापक ने देखी, तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ और उन्होंने मेरे लिए उनके विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय से बात की और उस विद्यालय में एक शिक्षक के रूप में अवसर प्रदान किया। मैं जब साक्षात्कार देने गई तो प्रधानाचार्य महोदय ने मेरा पोर्टफोलियो देखे बिना ही यह कहा कि मेम आपने नेट किया हुआ है। परंतु, हम आपको उस योग्य कक्षाएं नहीं दे सकते। यदि आप चाहे तो हमारे यहां पढ़ा सकती हैं और आपको हम 5000/- से ज़्यादा नहीं दे पाएंगे। मैंने सोचा घर पर बैठकर तैयारी तो कर ही रही हूं। सुबह 7-12 का विद्यालय था तो मैंने हां कर दी। अतः उस विद्यालय में पढ़ाने लगी।
Gunjan Kamal
11-Dec-2022 02:05 PM
शानदार
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Swati Sharma
11-Dec-2022 04:14 PM
Thank you ma'am 🙏🏻
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Pranali shrivastava
10-Dec-2022 09:13 PM
Nice 👍🏼
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Swati Sharma
10-Dec-2022 10:25 PM
Thanks ma'am 🙏🏻
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shweta soni
09-Dec-2022 07:32 PM
Bahut khub 👌
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Swati Sharma
09-Dec-2022 09:13 PM
Thank you ma'am 🙏🏻
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